बाड़मेर। कद्दावर जाट नेता कर्नल सोनाराम चौधरी का जीवन परिचय

बाड़मेर। सीमावर्ती बाड़मेर जिले की राजनीती करना बेहद कठिन और दुष्कर हें। बाड़मेर की राजनीती में कर्नल सोनाराम चौधरी ने जब प्रवेश किया उस वक्त जिले में राजीनीतिक जागरूकता का आभाव था ,कर्नल जैसलेर के श्री मोहनगढ़ निवासी हें ,जाजिया जैसलमेर में उनके खेत खलिहान भी हें। सोनाराम बाड़मेर से एक ध्रुव तारे के सामान उदयीमान हुए। लगातार तीन संसदीय चुनाव बाड़मेर से लदे ,तीनो मर्तबा उन्हें शानदार जीत मिली ,चौथी बार वे मानवेन्द्र सिंह से पौने तीन लाख मतों से पराजित हो गए थे। तेहरवीं विधानसभा में नवगठित बायतु विधानसभा से विधायक चुने गए। बाड़मेर जिले की राजनीती में कर्नल सोनाराम का अहम् योगदान हें। दबंग और बेबाक नेता के रूप में देश भर में कर्नल चर्चित हें
जीवन परिचय कर्नल का जन्म जैसलमेर जिले के श्री मोहनगढ़ कसबे में श्री उदाराम चौधरी के घर हुआ। उनकी माता का नाम श्रीमती रतनी बाई था। कर्नल की प्रारंभिक शिक्षा मोहनगढ़ और जैसलमेर में हुई। वाही बाद में वे उच्च अध्ययन के लिए गए जहां उन्होंने यु के कोलेग से शिक्षा प्राप्त की बाद में उन्होंने इंजीनियरिंग की। उनोने एम् ई एस में नौकरी की। कर्नल रेंक का सफ़र तय किया ,इस दौरान उन्होंने भारत पाकिस्तान के बीच हुए 1971 के युद्ध में भी भाग लिया। नौकरी में रहते हुए उन्होंने स्थानीय बेरोजगारों को खूब नौकरियाँ दिलाई ,समाज सेवा के क्षेत्र में भी उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया परिवार। उनकी धर्म पत्नी श्रीमती विमल चौधरी ,पुत्र रमण चौधरी

उनके पुत्र पेशे से चिकित्सक थे बाद में वे भी राजनीती में आ गए ,वर्तमान में वे कांग्रेस के सक्रीय कार्यकर्त्ता हें.

राजनितिक सफ़र अपने सद्व्यवहार से हर समाज वर्ग में वे काफी लोक प्रिय रहे इसी लोक प्रियता के आधार पर सेवानिवृति के बाद राजनीती में रुख किया। अखिल भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस की सदस्यता ली। तथा बाड़मेर जैसलमेर से उन्होंने अपना पहला लोक सभा चुनाव लड़ा उन्होंने पहला लोक सभा चुनाव 1996 में लड़ा। इन चुनावो में उन्होंने अपने निकटतम प्रत्विद्वंदी भाजपा के जोगराज सिंह राजपुरोहित को ६४६६६ मतों से हराकर सांसद बन लोकसभा पहुंचे ,बाद में अगला चुनाव मध्यावधि हुआ जिसमे 1998 में उन्होंने भाजपा के लोकेन्द्र सिंह कालवी को ८५५४० मतों से हराया तथा लगता दूसरी बार लोक सभा में पहुंचे। तीसरे लोक सभा चुनावो में उनके सामने मानवेन्द्र सिंह खड़े हुए ,इन चुनावो में भी उन्होंने मानवेन्द्र सिंह को ३२१४० मतों से पराजित किया। चौथे चुनाव में मानवेन्द्र सिंह से कर्नल २७११८८ मतों से शिकश्त खा बेठे ,बाद में वे २००८ में नव सर्जित विधानसभा बायतु से विधानसभा का चुनाव लदे जिसमे उन्होंने भाजपा के चौधरी को तीस हज़ार से अधिक मतों से हराया ,विधायक बने।

पद जिन पर रहे 1996 11 वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित,1996-97 सदस्य, सलाहकार समिति, ग्रामीण क्षेत्रों और रोजगार मंत्रालय,1996-98 सदस्य, रक्षा संबंधी समिति,1997-98 सदस्य, सलाहकार समिति, रेल मंत्रालय,1998 के 12 वीं लोकसभा (2 पद) के लिए पुन: निर्वाचित
सदस्य, कार्यकारी समिति, कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी),1998-99 सदस्य, रक्षा संबंधी समिति और इसके उप समिति मैं


सदस्य, सदन समितिसदस्य, सलाहकार समिति, रेल मंत्रालय,1999 13 वीं लोकसभा (3 पद) के लिए पुन: निर्वाचित,1999-2000 सदस्य, रक्षा संबंधी समिति ,सदस्य, सदन समिति,2000 के बाद सदस्य, सलाहकार समिति, संचार मंत्रालय
विशेष आमंत्रित, सलाहकार समिति, रेल मंत्रालय

18 मार्च 2014 को कोंग्रेस पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। 
सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों


इंटर कॉलेज सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए प्रोत्साहित किया और अध्यक्षता करने का अवसर मिलाकी गतिविधियों में लिया गहरी रुचि, बाड़मेर, जैसलमेर और जोधपुर में उनमें से कई परविभिन्न स्वयंसेवी संगठनों, बच्चों, विकलांग और वृद्ध के लिए काम कर रहा है, नियमितऐसे CRY जैसी संस्थाओं को दाता, कृषि विकास में गहरी रुचि ले लिया है औरजैसलमेर, बाड़मेर के लिए इंदिरा गांधी नहर के निर्माण के बाद किसानों के उत्थान


विशेष रूचियाँ


फोटोग्राफी और यात्रा, देश की पूरी लंबाई और चौड़ाई तय
पसंदीदा प्रमोद और मनोरंजन
गोल्फ बजाना, तैराकी, फोटोग्राफी, भारतीय शास्त्रीय संगीत, पढ़ने (कविता और गैर फिक्शन)

खेल और क्लब


स्कूल के दिनों 1960-61 और 1961-62 में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित, गोल्फ में भाग लियाचैंपियनशिप और इंटर सर्विस टूर्नामेंट में ट्राफियां जीती, सदस्य, (मैं) आर्मी गोल्फ कोर्स,दिल्ली कैंट,. और (ii) वायु सेना के गोल्फ कोर्स, नई दिल्ली

देशों का दौरा


हांगकांग, सिंगापुर और थाईलैंड

अन्य जानकारी


राष्ट्रपति, इंजीनियरिंग कॉलेज, जोधपुर, 1966-67; संस्थान द्वारा फैलोशिप दीइंजीनियर्स (इंडिया), कप्तान, इंजीनियर्स में प्लाटून कमांडर और फील्ड कंपनी कमांडररेजिमेंट, 1969-76, मेजर, गैरीसन इंजीनियर और कर्मचारी अधिकारी, 1977-85, लेफ्टिनेंट कर्नल,स्टाफ आफिसर, सेना मुख्यालय, नई दिल्ली, 1985-1988 में ग्रेड मैं, सीमा सड़क के कर्नल, कमांडरटास्क फोर्स, अरुणाचल प्रदेश, 1988-1990, कर्नल, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, बंगलौर औरजोधपुर, 1991-1994, (कोर के सशस्त्र बलों में बकाया और चुनौतीपूर्ण कार्यकाल थाइंजीनियर्स); विभिन्न राज्यों / क्षेत्रों अर्थात में 28 साल के लिए सेवा की. जम्मू और कश्मीर, उत्तर पूर्व,डेजर्ट एरिया, दक्षिण भारत और दिल्ली की राष्ट्रपति से विशिष्ट सेवा मेडल (वीएसएम) के प्राप्तकर्ताभारत और वायु सेना के आर्मी स्टाफ और मुख्यमंत्री के चीफ से दो प्रशस्तियां, अध्यक्ष, पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ, अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के सदस्य, रक्षा सेवा

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